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नवरात्रि

 

स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।

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फूलों से अंगना सजाऊंगी मैया मेरे घर आयेंगी। अपने अपने द्वार पर वंदनवार सजा लें भक्ति के चौक पूर लें ।भक्तों का कल्याण करने मां नवरूपों आ गई हैं । जयकारा मां शेरावाली का बोलिये सांचे दरबार की जय । 

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मां दुर्गा के श्री चरणों में, 

करता जो सर्वस्व समर्पण ।

मां भी उसके भंडारे में ,

कर देती तन मन सब अर्पण ।।


धूप दीप नैवेद्य चढ़ाकर ,

चरणों में जो भी रखता मन ।

जीवन उसका महके जैसे ,

चारों ओर महकता चंदन ।।


सर्व सुखों की प्राप्ति करें जो, 

मैया का करता नित वंदन ।

पाकर कृपा असीम मात की ,

जीवन बन जाता नंदन वन ।।


नव दिन नव रूपों का मैया ,

करे हृदय से जो भी पूजन ।

भक्त कभी नहिं संकट पाता ,

भव से तर जाता है जीवन ।।


मातु भवानी अंबे माता,

 रूप तुम्हारा है अति पावन ।

हम सब भक्त करे हैं मिलकर ,

नव दुर्गा शक्ति आराधन ।।


सुख समृद्धि सुयश वह पाए ,

सर्व सुलभ उसको सब साधन ।

श्रद्धा भक्ति सहित जो करता ,

मां दुर्गा का नियमित राधन ।।


🙏

Shanidev Maharaj pooja karte samay kya dhyan rahe

 शनि देव महाराज की पूजा करते समय, आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए:

पवित्र स्थान: शनि देव की पूजा के लिए एक पवित्र स्थान चुनना महत्पूर्ण है। ये स्थान धार्मिकता और पवित्रता से भरा होना चाहिए।


शनि यंत्र या मूर्ति: शनि देव की प्रतिमा या यंत्र का उपयोग करें। यंत्र और मूर्ति को पवित्र जल से धोएं और साफ करें।


व्रत और उपवास: शनि देव की पूजा के दिन व्रत रखें। कुछ लोग शनि अमावस्या को व्रत रखते हैं। उपवास में तिल, उड़त दाल, गेहु, और काले उड़द की दाल का सेवन किया जाता है।


पूजा सामग्री: शनि देव की पूजा के लिए सामग्री तैयार करें, जैसे धूप, दीपक, अगरबत्ती, पुष्प, नारियल, चावल, सिन्दूर, आदि।



मंत्र जाप: शनि देव के मंत्र का जाप करें। शनि देव का प्रसन्न होने के लिए "ओम शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप किया जाता है। क्या मंत्र को ध्यान से और श्रद्धा भाव से जपना चाहिए।


ध्यान और भक्ति: पूजा के समय, शनि देव की मूर्ति या यंत्र पर ध्यान लगाएं और भक्ति भाव से पूजा करें। मन में शनिदेव के प्रति समर्पण और विश्वास रखें।


प्रसाद: पूजा समापत करने के बाद, प्रसाद तैयार करें और इसे प्रभु शनिदेव को अर्पण करें। प्रसाद में काले उड़द की दाल, तिल और गुड़ का उपयोग किया जाता है।


धार्मिक ग्रंथों का पथ: शनि देव की कथा और धार्मिक ग्रंथों का पथ करें। शनि पुराण और शनि चालीसा भी पढ सकते हैं।


शनि अमावस्या पर कुछ उपाय: अगर आप शनि अमावस्या को पूजा कर रहे हैं तो, कुछ सामान्य उपाय भी कर सकते हैं जैसा दान देना, किसी गरीब को मदद करना, या नीम के पत्तों का सेवन करना।


शनि उपाय: अगर आप किसी ग्रह दोष या शनि के प्रभाव से परेशान हैं, तो एक ज्योतिष से सलाह लेकर उसका उपाय करें।


शनि देव की पूजा पर ध्यान देना चाहिए और श्रद्धा भाव से करना चाहिए। यह पूजा व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सुख ला सकती है और संकट दूर करने में मददगार हो सकती है

शनि देव महाराज सेवा ट्रस्ट के बारे में जानकारी कुछ इस प्रकार से है


 इस ट्रस्ट के संस्थापक श्री जन्मेजय पाल जी है  उनका उद्देश है कि इस ट्रस्ट से जन हित व शनि मंदिर परिसर में आयोजित सभी प्रकार की देख

इस ट्रस्ट में सभी सदस्य व अधिकारी सहयोग का उद्देश है हम आप सभी से भी सहयोग का उद्देश करते हैं 

इस ट्रस्ट में अभी तक 30 लोग जुड़े हैं।